Tuesday, February 26, 2008

क्या ज़िंदगी है एक द्वीप की.....

पानी से घिरा हुआ... चुप चाप खड़ा रहता हू...
मैं द्वीप हू और मेरा घर पानी के बीच में है...
लहेरो से दिन रात बातें करता हू॥
कभी यह गुस्से में मुझे थपेडे
मार जाती है...
और कभी दिन रात प्यार से मुझे अपने
aanchal tale lori sunati है....